कावेरी डेल्टा क्षेत्र, जिसे तमिलनाडु के अन्न भंडार के रूप में व्यापक तौर पे जाना जाता है, अब खेती योग्य भूमि के स्थान पर अपशिष्ट भूमि में बदलते जाने के साथ ही सिकुड़ता जा रहा है। यह अध्ययन मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज (एमआईआईएस) के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एस जनकराजन द्वारा हाल में संपन्न किए गए शोध के दौरान किया गया। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) द्वारा वित्त पोषित, इस अध्ययन को 2014 से 2016 के बीच आयोजित किया गया था और 1970 के दशक से शुरू होकर लगभग चार दशकों की अवधि को कवर किया गया है।